महाकुंभ में अभी कितने स्नान बचे हैं, जानें इनमे से कितने हैं अमृत स्नान?
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कुम्भ के संबंध में पौराणिक मान्यता है कि, समुद्र मंथन के दौरान अमृत को लेकर देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ था.
इस युद्ध में देवताओं ने अपनी बुद्धि का प्रयोग कर असुरों को हरा दिया, जिसके बाद उन्होंने अमृत पीकर अमरता प्राप्त की थी.
मान्यता है कि इसी युद्ध के दौरान अमृत की कुछ बूदें धरती पर गिरी थी, वे जगहें भारत की चार पवित्र नदियां गंगा, क्षिप्रा, गोदावरी और प्रयागराज के संगम के चार जगहों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक हैं
महाकुंभ हिन्दू धर्म के आस्था का सबसे बड़ा उत्सव है, इसे कुम्भ मेला भी कहा जाता है. कुम्भ मेला 12 साल मे एक बार, जबकि महाकुंभ 144 साम में एक बार लगता है. वहीं अर्धकुम्भ 6 साल में एक बार लगता है.
इस बार महाकुंभ का मेला प्रयागराज में 13 जनवरी से चल रहा है, जो 26 फरवरी 2025 को शिवरात्रि के दिन समाप्त होगा.
बता दें कि इस महाकुंभ मेले में 3 अमृत स्नान और 3 स्नान होगें, जिसमें से एक शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्राति के दिन हो चुका है.
जानें प्रयागराज के आने वाले स्नान और अमृत स्नान के बारे में-
आने वाले दिनों में दो अमृत स्नान- 29 जनवरी मौनी अमावस्या और 3 फरवरी बसंत पंचमी के दिन होगा. इस दिन मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होगी.
साथ ही 12 फरवरी माघी पूर्णमा और 26 फरवरी शिवरात्रि को महाकुंभ मेले का लास्ट स्नान होगा.