क्या आप जानते हैं कि, प्रयागराज में चल रहे महाकुम्भ के पीछे की क्या है कहानी ?
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हिन्दू धर्म में महाकुम्भ मेला का बहुत धार्मिक महत्व है.और कुम्भ मेला हर 12 साल में चार अलग-अलग जगहों पर लगता है. ये जगह प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन हैं.
इस बार महाकुम्भ 2025 मेले के आयोजन प्रयागराज में लगा है. इस मेले में करोड़ो लोग, साधु संत सभी आते हैं.
प्राचीन हिन्दू पौराणिक कथाओं में महाकुम्भ मेले का गहरा महत्व बताया गया है. जिसका अर्थ है-आत्मशुद्धीकरण करना और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना है.
महाकुम्भ मेला अर्ध कुम्भ 6 साल में, कुम्भ 12 साल में एक बार और महाकुम्भ मेला 12 कुम्भ मेलों के बाद लगता है अर्थात् 144 साल में एक बार लगता है.
इस मेले की एक पौराणिक कहानी है. इसके अनुसार देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था.
मंथन के दौरान समुद्र से एक अमृत कलश निकला था. जिसके कारण अमृत को लेकर देवताओं और राक्षसों में छीना झपटी हो गई.
इस छीना-झपटी में अमृत के कुछ बूंद धरती पर गिर गए थे. जिसमें से एक बूंद प्रयागराज में गिरा था.
महाकुम्भ मेले के दौरान साधुसंत और लोगों की भारी संख्या में आगमन होता ही है, साथ ही अमृत स्नान के लिए ये लोग देश विदेश से भी आते हैं.
मान्यता है कि प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों नदियों का एक साथ संगम होता है. इसमें स्नान करने वालों के पाप धुल जाते हैं और पुण्य मिलता है.