हस्तशिल्प कला के लिए मशहूर है यूपी की ये जिला, जानें इसकी खासियत
Kamesh Dwivedi
उत्तर प्रदेश राज्य में एक जनपद और एक उत्पाद के तहत हर जिले की अपनी एक पहचान है.
वैसे ही गोरखपुर जिला अपने पारंपरिक तौर तरीकों हस्तशिल्प के लिए भी जाना जाता है.
गांवों में ज्यादातर आपने देखा होगा कि हांथ से बनाए हुए उत्पादों को ही लोग ज्यादा पसंद करते हैं, और स्थानीय लोगों का ये एक पारंपरिक व्यवसाय भी होता है.
इस हस्तशिल्प को लोग कुटीर उद्योग का भी नाम देते हैं. इसमें सूती वस्त्र, जूते, कंबल, बर्तन आदि में लोगों को अधिक रोजगार मिलता है और उनका जीवनयापन होता है.
गोरखपुर में हथकरघा उद्योग जैसे धोती, चादर, तौलिए आदि बनाए जाते हैं. इसे कपास से तैयार किया जाता है. इसके लिए यार्न की जरूरत पड़ती है जिससे कपास को धाग में परिवर्तित करने का प्रयास होता है.
हथकरघा के लिए कुछ मशीनों की जरूरत पड़ती है. जो गांव की महिलाएं बहुत हद तक रोजगार देने का काम करती है.
गोरखपुर के बांसगांव और पांडेपुर में ऊनी कंबल का उत्पादन किया जाता है. कारीगरों से ऊन से कंबल की बुनाई करते हैं, क्योंकि इस कला में वो निपुण होते हैं.
ऐसे ही तमाम कुटीर उद्योग के सहारे हजारों लोगों को रोजगार का अवसर दिया जाता है. जिससे उनका जीवनयापन होता रहता है.