गोरखपुर उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा जिला है,जो अपने धार्मिकऔर ऐतिहासिक स्थलों के ही लिए बल्कि हस्त शिल्पकला के लिए भी जाना जाता है.
बता दें कि गोरखपुर में सदियों से कुटीर उद्योग पीढ़ीदर पीढ़ी चलते चले आ रहे हैं,
इन उद्योगों के अंतर्गत सूती वस्त्र, बर्तन, खाद्य और गैर खाद्य तेल, बढ़ई के सामान, जूते, कंबल, बास्केट आदि हैं
ऊनी कंबंल ऊनी कंबल की बुनाई में निपुण कारीगर, यहां के तहसील बांसगांव में पांडेपुर और गोरखपुर में कंबंल का उत्पादन करते हैं.
कपड़ा उद्योग यहां पर अन्य उद्योगों की तुलना में वस्त्र उद्योगों अधिक कारीगरों के रोजगार का माध्यम बना हुआ है. जिसकी वजह से स्थानीय बाजारों में दरी, धोती, विस्तर कवर, और चादरों को देखा जा सकता है.
इसके व्यापार क्षेत्र मुख्यत: गोरखपुर, पिपरौली, बरहलगंज और रिगोली में मौजूद हैं.
इसके पावर-लूम उद्योग में लगभग आधी इकाईयों को सहकारी समितियों के रूप में संगठित किया गया है.
इन उद्योगों में कपास को कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है.