जानिए राजा राव रामबक्स की शौर्य गाथा, जो हैं उन्नाव के असली हीरो
Kamesh Dwivedi
भारत में कई वीर जन्में जिन्होंने इस वतन के लिए सब कुछ बलिदान कर दिया.
अंग्रेजों से आजादी पाने के लिए भारतीयों ने कड़े संघर्ष किए. जिसका परिणाम ये रहा कि
भारत 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से हमेशा के लिए आजाद हो गया.
आज उत्तर प्रदेश का जिला उन्नाव की एक शौर्य गाथा जानेंगे.
1857 की क्रांति में डौडिया खेड़ा के राजा रामबक्स ने अंग्रजों से लोहा लिया और भारत का शीश कभी झुकने नहीं दिया.
वर्ष 1859 में अंग्रेजी सरकार ने उन्हें गिरफ्त में लिया और माफी मांगने पर छोड़ने की बात कही.
लेकिन वीर रामबक्स ने अपना शीश न झुकाते हुए माफी नहीं मांगी और भारत के मान को झुकने ना दिया.
जिस वजह से उन्हें अंग्रेजी सरकार ने फांसी की सजा सुना दी और उन्होंने मुस्कुराते हुए इसे अपना लिया.
फिर 28 दिसंबर 1859 को शाम चार बजे उन्हें अंग्रेजों ने बरगद के पेड़ में फांसी पर लटका दिया. शूरवीर राजा राव रामबक्स ने वतन के खातिर फांसी के फंदे को चूम लिया.