Dec 30, 2024, 11:27 AM IST

 सीतापुर का यह स्थान है 88 ऋषि-मुनियों की तपोस्थली, जाने इसके पीछे का रहस्य!ऋषि-मुनियों की तपोस्थली, जाने इसके पीछे का रहस्य!

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अगर आप भी घूमने का प्लान बना रहे हैं तो नैमिषारण्य धाम एक अच्छा विकल्प है. नैमिषारण्य गोमती नदी के किनारे स्थित है. जो लखनऊ से 80 किमी. की दूरी पर है. 

नैमिषारण्य को नीमसार और नैमिस के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि दधिचि नें यहीं पास में ही देवताओं की रक्षा के लिए समाधि ली थी.

यह स्थान भगवान विष्णु के प्रमुख स्थानों में से एक है. यहां पर पंचपुराण मंदिर, हनुमानगढ़ी, ललिता देवी और व्यास गद्दी आदि को देख सकते हैं.

कलियुग मान्यता है कि ऋषि-मुनि कलियुग को लेकर चिंतित थे. जिसकी वजह से ब्रह्म ने उनकी मदद के लिए धरती पर एक चक्र फेंका और कहा कि यह चक्र जहां गिरेगा, वह स्थान कलयुग से हमेशा मुक्त रहेगा. और नैमिषारण्य वही जगह है.

पौराणिक मान्यता है कि नैमिषारण्य में 88,000 हजार ऋषि ने एक साथ तप किया था, जिसकी वजह से तब से यह स्थान ऋषि-मुनियों की तपोस्थली बन गई.

सूत गद्दी  नैमिषारण्य धाम के पास में ही सूत गद्दी है. ऐसा माना जाता है कि यहीं पर सबसे पहले महामुनि सूत ने श्रीमद् भागवत कथा, सत्यनारायण कथा और महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित वेद, पुराणों का 88 हजार ऋषियों को उपदेश दिया था.

मनु सतरूपा मंदिर   नैमिषारण्य धाम के पास ही मनु सतरूपा मंदिर है. मान्यता है कि यहीं पर सृष्टी के प्रथम राजा मनु और रानी  सतरूपा ने तप किया था. 

अगर आप भी सीतापुर घूमने जा रहे हैं तो परिवार और दोस्तों के साथ नैमिषारण्य धाम, सूत गद्दी, मनु सतरूपा मंदिर सहित अन्य जगहों पर घूमना न भूलें