गोंडा, उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में घाघरा नदी के तट पर बसा हुआ खूबसूरत जिला है. साथ ही इसके पूरब में बस्ती, पश्चिम में बहराइच, उत्तर में बलरामपुर और दक्षिण में फैजाबाद एवं बाराबंकी जिला लगे हुए हैं.
गोंडा जिला अपने अंदर कई सारे गौरवशाली इतिहास को समेंटे हुए है. इस जिले की ऐतिहासिक महत्व के साथ कई धार्मिक गाथाएं भी जुड़ी हुई हैं.
इस जिले का संबंध स्वतंत्रता आन्दोलन से भी रह चुका है. यहां के राजा देबीबक्श सिंह अंग्रेजों के साथ स्वतेत्रता की लड़ाई में अपना जीवन त्याग दिया था, इनके द्वारा बनवाया गया सागर तालाब आज भी नगर की शोभा बढ़ा रहा है.
इस जिले में तीन नदियां बहती हैं, जिसमें घाघरा, कुआनो और सरयू हैं. साथ ही अयोध्य के पास होने कं कारण यह जिला ऋषि मुनियों का निवास स्थान भी रहा है.
अयोध्य से सटे होने के कारण गोंडा को भगवान राम की धरती भी मानी जाती है. ऐसी मान्यता है कि सतयुग में भगवान विष्णु नें गोडा की धरती पर ही बराह का अवतार लिया था. और हिरण्यकश्यप का वध किया था .
वटवृक्ष
बराही देवी मंदिर के पास में एक विशाल वट वृक्ष का वृक्ष है, कहा जाता है कि आंख से पीड़ित लोग नवरात्रि में इस पेड़ के नीचे कल्पवास करते हैं.जिससे उनकी आंखों की समस्या दूर हो जाती है
प्राचीन मंदिर
यहां पर मां बराही देवी का एक प्राचीन मंदिर भी है, जो श्रद्धालुओं को आस्था का केन्द्र है.