हजारों साल पुराना है अमेठी के सती महारानी मंदिर का इतिहास, जहां पति के साथ चिता पर बैठ पत्नी ने त्याग दिए अपने प्राण!
Kamesh Dwivedi
उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में कई ऐतिहासिक और धार्मिक मंदिर है, जिसे देखने लोग दूर-दराज से आते हैं.
आज अमेठी जिले के एक ऐसे मंदिर का इतिहास जानेंगे, जहां सुहागिन औरतें करने आती हैं पूजा-पाठ.
अमेठी के रामनगर में स्तिथ है ये सती महारानी का मंदिर, जिसे राज परिवार द्वारा निर्मित करवाया गया था.
इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि राजा विशेश्वर सिंह की मौत के बाद उनके चिता की आग नहीं जल रही थी, तब रानी अपने पति को गोद में लेकर चिता में बैठ गई और अपने पति से साथ वो भी सती हो गई.
उसके बाद से ही लोग इस जगह को सती महारानी के नाम से जानने लगे. फिर राज परिवार द्वारा यहीं एक सती महारानी के नाम का मंदिर बनवाया गया.
इस मंदिर में शादी-शुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूजा करने आती हैं.
जिन सुहागिन औरतों को संतान की चाह होती है, वो भी इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने आती हैं.
सच्चे मन से जो भी यहां मनोकामना करता है, उसकी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण हो जाती हैं.
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर पेड़ा, लाई और चना चढ़ाने की मान्यता है.