पुरी में शुरू हुई भक्ति की सबसे बड़ी यात्रा
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 27 जून 2025 को ओडिशा के पुरी से शुरू हुई
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भगवान का 9 दिन का प्रवास – जाते हैं मौसी के घर रथ यात्रा के दौरान भगवान 9 दिन तक गुंडिचा मंदिर में रहते हैं।
गुंडिचा मंदिर को भगवान की मौसी का घर माना जाता है
9वें दिन उन्हें वापसी की यात्रा में फिर रथ से श्रीमंदिर लाया जाता है
जानिए पूरा कार्यक्रम – स्नान से वापसी तक की तारीखें
12 जून को स्नान पूर्णिमा से इसकी शुरुआत होती है, और 5 जुलाई को नीलाद्री विजय के साथ खत्म होती है
बीच में कई रस्में होती हैं जैसे अनवसरा (भगवान बीमार रहते हैं), हेरा पंचमी, और सुनाभेष
तीन रथों की भव्यता – लकड़ी से बनी दिव्य सवारी
तीनों भगवानों के लिए अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं – सभी नीम की लकड़ी से
भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’, बलभद्र का ‘तालध्वज’ और सुभद्रा का ‘दर्पदलन’ कहलाता है
लाखों श्रद्धालु खींचते हैं रथ – सेवा में जुटा हर हाथ
देश-विदेश से लाखों लोग पुरी आते हैं रथ खींचने के लिए
ऐसा माना जाता है कि रथ खींचने से पाप कटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है
हर जाति–धर्म का स्वागत – भक्ति में सब बराबर
इस यात्रा में कोई भेदभाव नहीं होता, सभी धर्म और जातियों के लोग साथ चलते हैं
घर बैठे भी कर सकते हैं दर्शन – LIVE प्रसारण की सुविधा
जो लोग पुरी नहीं जा सकते, वे दूरदर्शन, यूट्यूब और मोबाइल ऐप्स के जरिए दर्शन कर सकते हैं
सरकार और मंदिर प्रशासन ने डिजिटल प्रसारण की पूरी व्यवस्था की है
रथ यात्रा – आस्था, परंपरा और संस्कृति का अनमोल पर्व
यह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और भक्ति का उत्सव है
हर साल ये यात्रा लोगों को सेवा, समर्पण और एकता का संदेश देती है