कहाँ होता है यह पर्व?
कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी (असम) में स्थित है
यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख शक्ति पीठ है
यहाँ माँ सती के योनि अंग के गिरने की मान्यता है
कब मनाया जाता है अंबुबाची?
यह पर्व अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है —
अर्थात हर साल 22-26 जून के बीच, विशेष तिथियों के अनुसार बदलता है
तीन दिन तक मंदिर बंद रहता है और चौथे दिन 'निवृत्ति' (शुद्धि) के बाद फिर से पूजा शुरू होती है
धार्मिक मान्यता
माना जाता है कि इस समय माँ कामाख्या ऋतुस्नान में होती हैं
इसी कारण, मंदिर बंद कर दिया जाता है और किसी भी शुभ कार्य, पूजा-पाठ, विवाह आदि पर रोक लगाई जाती है
क्या होता है इन तीन दिनों में?
मंदिर के कपाट बंद रहते हैं
कोई पूजा या दर्शन नहीं होते
भक्त केवल मंदिर परिसर के बाहर रुकते हैं
साधु-संत, तांत्रिक और साधक इस अवसर पर साधना करते हैं
क्या नियम पालन किए जाते हैं?
नया खाना नहीं पकता – पहले से पका या ठंडा भोजन खाया जाता है
फल, दूध, सूखा भोजन का सेवन किया जाता है
खेतों में हल चलाना, फूल तोड़ना, कपड़ा बुनना, निर्माण कार्य आदि वर्जित होते हैं
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
अंबुबाची मेला न केवल धार्मिक पर्व है, बल्कि
असम की संस्कृति, स्त्री के प्राकृतिक चक्र का सम्मान
और प्रकृति के विश्राम की भावना का प्रतीक है
लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र
हर साल भारत के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु
कामाख्या धाम पहुंचते हैं
यह पर्व स्त्री शक्ति, शुद्धता और प्रकृति के अद्भुत संतुलन का संदेश देता है