बुरहानपुर में तिलक की प्रेरणा से शुरू हुआ था 100 साल पुराना गणेशोत्सव
बुरहानपुर के गणेशोत्सव का इतिहास काफी पुराना है। 1917 में बाल गंगाधर तिलक ने शहर का दौरा किया और गणेश प्रतिमा स्थापना की प्रेरणा दी। इसके बाद 1920 में स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों ने पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेश प्रतिमा की स्थापना की। तब से यह उत्सव शहर में उत्साह के साथ मनाया जाता है। तिलक के राष्ट्रीय एकता के विचार को आगे बढ़ाते हुए यह परंपरा आज भी जारी है।
MP में भारत की सबसे बड़ी रोटी बुरहानपुर में बनाई जाती है
मुगलकाल से शुरू हुई इस मांडा रोटी को बनाने वाले शहर में 100 से अधिक परिवार हैं। मांडा रोटी बनाकर ही अपना जीवन यापन करते हैं। सन् 1601 में मुगलिया दौर में मुगल शासकों ने बुरहानपुर में फौजी छावनी बनाई थी। इस दौरान भारत के हर कोने से मुगलिया सैनिक बुरहानपुर फौजी छावनी में आया करते थे। ऐसे में कम समय में अधिक मात्रा में भोजन तैयार करना एक बड़ी चुनौती होती थी। इस समस्या से निजात पाने और दरबारियों को भोजन देने के लिए स्थानीय बावर्चियों ने बड़े आकार की रोटी यानी मांडा बनाने का सुझाव दिया था।