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हिमाचल में आगज़नी का कहर: जंगल से गांव तक फैल रहा है बड़ा खतरा
SSSandeep Singh
Nov 12, 2025 09:44:08
Kullu, Himachal Pradesh
हिमाचल प्रदेश की सत्तर लाख से अधिक आबादी के लिए बार-बार मॉनसून के साथ साथ, पिछले कुछ वर्षों से एक और सबसे बड़ा खतरा भारी जानमाल का नुकसान कर रहा है, जी हाँ यह खतरा है आगज़नी की बढ़ती घटनाओं का। नमaskar, आपके साथ मैं हूँ संदीप सिंह, बीते कुछ महीनों में कुल्लू के बंजार से लेकर चंबा, मंडी और शिमला तक प्रदेश के कई इलाकों में आग की घटनाओं ने पूरा मंजर बदल दिया है।
जंगलों में आग: 8504 कुल आग घटनाएं: 18006 मानव मृत्यु: 664 संपत्ति हानि: ₹919 करोड़ बंजार (कुल्लू): गांव समेतawah (2025)
कुल फायर हाइड्रेंट: 1479 चालू: 1182 बंद: 297 (20% असक्रिय)
वर्ष 2021–2025: संपत्ति हानि: ₹91907,20,60,441 संपत्ति बचाई गई: ₹7312,95,76,583 मौतें: 664 बचाए गए: 2447
2021: मकान में आग 430, जंगल की आग 980, मानव मृत्यु 107, बचाए गए 282
2022: मकान में आग 650, जंगल की आग 1230, मानव मृत्यु 162, बचाए गए 517
2023: मकान में आग 541, जंगल की आग 789, मानव मृत्यु 140, बचाए गए 834
2024: मकान में आग 783, जंगल की आग 4096, मानव मृत्यु 100, बचाए गए 535
2025 (अक्टूबर तक): मकान में आग 334, जंगल की आग 1409, मानव मृत्यु 155, बचाए गए 279
कुल (2021–2025): जंगलों में आग 8504, संपत्ति नुकसान 9,19,20,60,441, मानव मृत्यु 664, बचाए गए 2447
प्रदेश में लगे 1479 फायर हाइड्रेंट में से लगभग 300 अस्वेया योग्य हैं यानी पानी नहीं, बस पाइप। पहले आग जंगलों तक सीमित रहती थी, अब वो गांवों, खेतों, सरकारी भवनों तक पहुँचने लगी है। सूखी वनस्पति, बढ़ता तापमान और मानवीय लापरवाही ये तीन वजहें आग को रुकने नहीं देतीं। हिमाचल की जनता इस मामले पर सरकार से गम्भीर और वाजिब माँगे कर रही है।
ये आंकड़े सिर्फ चौंकाने वाले नहीं… सिस्टम को झकझोर देने वाले हैं। हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में कई मामलों में फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ अक्सर आग के पास तक भी नहीं पहुँच पातीं हैं। आगज़नी की घटनाओं में अलर्ट तो आता है, मगर जब तक सूचना जमीन तक पहुँचती है, आग अपना काम कर चुकी होती है और पीछे छोड़ जाती है, यह भयानक मंज़र और डराने वाली तस्वीरें।
पिछले पाँच सालों में हिमाचल में 664 लोगों की जान गई, 406 जानवरों की मौत हुई, और 919 करोड़ की संपत्ति राख में बदल गई। पहाड़ी प्रदेश की शायद सबसे बड़ी हानि, हरी-भरी धरती है, जो धीरे-धीरे राख बन रही है। 2024 और 2025 में सबसे ज्यादा आग की घटनाएं दर्ज की गईं; सिर्फ 2024 में ही 4096 जंगलों में आग लगी। 90 फीसदी आग इंसान से शुरू होती है, बिजली की तारों में आग लगना, खेत जलाना, लकड़ी जलाना या लापरवाही से बीड़ी फेंकना। परिणाम हजारों पेड़, सैकड़ों जानवर, और अनमोल मिट्टी हर साल आग में स्वाहा।
इस आगजनी से देश को ऑक्सीजन देने वाले हिमाचल के जंगलों, पहाड़ों की आम जनता ही प्रभावित नहीं है बल्कि सरकारी-गैर सरकारी भवन भी इस आग की लपटों से दूर नहीं हैं।
यह सिर्फ एक आग का मामला नहीं है, यह एक व्यापक जलवायु-जनित आपदा की चिंता है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।
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