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दरमोला में देव निशानों के साथ पांडव नृत्य का शुभारंभ, नारायण भगवान स्नान की आस्था
HNHARENDRA NEGI
Nov 02, 2025 06:46:37
Rudraprayag, Uttarakhand
केदार घाटी में हरिबोदनी, ईगास बग्वाल पर स्वंम नारायण भगवान पहॅूचते हैं स्नान करने संगम स्थल पर। केदारघाटी में स्नान करने के बाद शुरू ुहो जाती हैं पाड़व लीला का मंचन। दो से तीन महिने तक चलता रहता है केदारघाटी में पांडण्व नृत्य, पाडण्वों द्धारा छोडे गये अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। हरेन्द्र नेगी स्लग- नारायण भगवान का स्नान स्पेशल पैकेज हरेन्द्र नेगी एंकर। रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय से सटी ग्राम पंचायत दरमोला में देव निशान व पांडवों के गंगा स्नान के साथ पांडव नृत्य का आगाज शुरू हो गया है। इसके बाद भक्तों के जयकारों के साथ देव निशानों ने अपने गतंव्य दरमोला गांव के लिए प्रस्थान किया। विगत वर्षों की भांति इस बार एकादशी की पूर्व संध्या पर दरमोला, तरवाडी, स्वीली-सेम गांव के ग्रामीण देव निशानों को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ गंगा स्नान के लिए अलकनंदा-मंदाकिनी के तट पहुंचे। यहां पर ग्रामीणों ने रात्रिभर जागरण करने के साथ पुजारी ने देवताओं की चार पहर की पूजा-अर्चना संपन्न की। इस अवसर पर भंडारे का आयोजन भी किया गया। शनिवार को ग्रामीणों ने भगवान बद्रीविशाल, लक्ष्मीनारायण, शंकरनाथ, तुंगनाथ, नागराजा, हीत देवता, चामुंडा देवी, ब्रहमडुंगी, भैरवनाथ समेत कई देवी देवताओं के निशानों के साथ ही पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों का स्नान कराया गया। जिसके उपरान्त पुजारी व अन्य ब्राह्मणों ने भगवान बद्री विशाल समेत सभी देवताओं की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विशेष पूजा अर्चना शुद्धिरकण किया गया। तथा यहां पर हवन व आरती के साथ देवताओं का तिलक किया गया। तथा देव निशानों को श्रृंगार कर फूल मालाओं से सुशोभित किया गया। यहां उपस्थित स्थानीय भक्तों के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। इस दौरान देव निशानों ने नृत्यकर भक्तों को आशीर्वाद भी दिया। इसके पश्चात सभी देव निशानों ने ढोल नगाडों के साथ अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान किया। ग्राम पंचायत दरमोला में प्रत्येक वर्ष अलग-अलग स्थानों पर पांडव नृत्य आयोजन होता है। एक वर्ष दरमोला तथा दूसरे वर्ष राजस्व गांव तरवाड़ी में पांडव नृत्य का आयोजन होता है। इस वर्ष दरमोला गांव में देव निशानों की स्थापना कर पांडव नृत्य का शुभारंभ हो गया है। मान्यता है कि देव उठनी एकादशी के दिन भगवान नारायण पांच महीने की निन्द्रा से जागते हैं। तथा भगवान ने तुलसी के साथ विवाह किया था। जिससे इस दिन को शुभ माना गया है। सदियों से चली आ रही परम्परा के अनुसार आज तक गांव में पांडव नृत्य का आयोजन करते आ रहे हैं। इस अवसर पर पुजारी कीर्तिराम डिमरी, आचार्य शंशाक शेखर, गिरीश डिमरी, जसपाल सिंह, एनएस कप्रवान, राकेश पंवार, लक्ष्मी प्रसाद डिमरी, हरि प्रसाद डिमरी, वाणी विलास डिमरी, भक्ति डिमरी, जयपाल सिंह, कुंवर सिंह, केवल सिंह, विनोद पंवार, संतोष रावत, विजय सिंह, जीत सिंह पंवार, समेत बड़ी संख्या में स्थानीय जनता उपस्थित थी। बाइट।।डॉ आचार्य शंशाक शेखर, बाइट।। गिरीश डिमरी, बाइट।।जसपाल सिंह स्थानीय
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