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Gumla835207

गुमला की दीदियों ने रागी मिशन से बदल दी अपनी तक़दीर!

RNRandhir Nidhi
Jul 20, 2025 03:03:09
Gumla, Jharkhand
*गुमला की रागी क्रांति : दस दीदियों से शुरू हुई पहल बनी 3.5 करोड़ की ग्रामीण ब्रांड स्टोरी* ● *जोहार रागी मिशन ने बदली हजारों किसानों और महिलाओं की तक़दीर, बना आत्मनिर्भरता का राष्ट्रीय प्रतीक* *गुमला।* झारखंड का गुमला जिला आज ग्रामीण नवाचार, महिला सशक्तिकरण और पारंपरिक कृषि उत्पादों के व्यवसायीकरण का राष्ट्रीय उदाहरण बन चुका है। महज दस दीदियों से वर्ष 2022 में शुरू हुआ जोहार रागी मिशन आज 35 हजार से अधिक किसानों और 514 महिला शेयरधारकों की जीविका का आधार और देशभर में ग्रामोदय से भारत उदय की सशक्त मिसाल बन गया है। इस मिशन का वार्षिक कारोबार 3.5 करोड़ रुपये को पार कर चुका है और यह सफलता केवल ग्रामीण महिलाओं के हाथों से संचालित एक आंदोलन के रूप में राष्ट्रीय मंचों पर पहचान बना रही है। *एक दूरदर्शी प्रशासनिक सोच की शुरुआत, जो बनी एक जनांदोलन* इस रागी मिशन की नींव तत्कालीन उपायुक्त सुशांत गौरव ने रखी थी, जिनकी प्रशासनिक दूरदृष्टि, नवाचार की समझ और ग्रामीणों के साथ गहरी संवेदनशीलता ने गुमला में पारंपरिक फसल मड़ुआ (रागी) को एक आधुनिक ब्रांड का रूप दे दिया। उनके नेतृत्व में मात्र 10 महिलाएं और 5000 किसान इस पहल से जुड़े और धीरे-धीरे यह प्रयास लगातार फैलता गया। बाद में उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी ने इस पहल को और विस्तार देते हुए इसके बाजार ढांचे, प्रोसेसिंग यूनिट, पैकेजिंग और ऑनलाइन ब्रांडिंग को सुदृढ़ किया। झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) गुमला की टीम ने इसकी व्यावसायिक रणनीति, मार्केटिंग और आपूर्ति श्रृंखला को संबल प्रदान किया। *514 महिला शेयरधारक, 35 हजार किसान, 3.5 करोड़ का टर्नओवर* इस मिशन में अब तक 514 महिला शेयरधारक सक्रिय रूप से शामिल हैं और 35 हजार से अधिक किसान रागी की जैविक खेती से जुड़ चुके हैं। वर्ष 2024-25 के वित्तीय वर्ष में जोहार रागी ब्रांड ने 3.5 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया है और इसकी उत्पाद श्रृंखला तथा बाजार पहुंच निरंतर विस्तृत हो रही है। *स्वास्थ्य और स्वाद का संगम, पूरी तरह रसायनमुक्त उत्पाद* जोहार रागी मिशन के सीईओ राहुल कुमार साहू बताते हैं कि सभी उत्पाद सौ फीसदी रागी से बने हैं जो न केवल स्वादिष्ट और पोषणयुक्त हैं बल्कि पूर्णतः रसायनमुक्त भी हैं। वर्तमान उत्पादों में शामिल हैं —रागी लड्डू, कुकीज, ठेकुआ, निमकी, मिक्चर, भुजिया, चिप्स, मसाला बुंदी और आटा। वहीं जल्द ही बाजार में उतरने वाले कुकीज के नए फ्लेवर हैं –चोकोफिल, मोरिंगा, बनाना, मैंगो, ऑरेंज, अलसी, जीरा और वेनिला। इसके अलावा चिप्स और मिक्चर के नए वेरायटी जैसे टोमैटो, चिल्ली, पेरिपेरी और खट्टा-मीठा लॉन्च की तैयारी में हैं। साथ ही रागी चुड़ा और नूडल्स पर भी कार्य प्रगति पर है। *पोषण और पुनर्वास में रागी मिशन की भूमिका* रागी मिशन अब स्वास्थ्य एवं पोषण मिशनों का भी हिस्सा बन चुका है। हिंडाल्को सीएसआर योजना के तहत घाघरा व विशुनपुर प्रखंडों में टीबी रोगियों को रागी लड्डू का नियमित सेवन कराया गया, जिससे 213 मरीज पूर्णतः स्वस्थ हुए। इस सफलता को देखते हुए इस योजना को अब पूरे जिले में लागू करने की दिशा में कार्य हो रहा है। *दीदियों की सफलता बनी राज्यभर में प्रेरणा* गुमला की महिलाएं अब झारखंड के अन्य जिलों में प्रशिक्षणदाता के रूप में जा रही हैं। आरबीआई झारखंड ने इस मिशन को पूरे राज्य में मॉडल प्रोजेक्ट के रूप में प्रस्तुत किया है। यह पहल अब महिला उद्यमिता का नया अध्याय लिख रही है, जहां ग्रामीण दीदियों ने अपने परिश्रम और समर्पण से पूरे राज्य की महिलाओं को प्रेरणा दी है। *ग्लोबल मंचों पर गूंजा गुमला का नाम* बीआईटी मेसरा में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन फूड केमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी एंड प्रोसेस इंजीनियरिंग फॉर वेलनेस एंड हेल्थ में मिशन से जुड़ी कुंवारी बरवा ने भाग लिया और गुमला की सफलता को वैश्विक शोधकर्ताओं के सामने प्रस्तुत किया, जिसने देश-विदेश के विशेषज्ञों को प्रभावित किया। *ऑनलाइन और शहरी बाजार में तेज़ी से विस्तार* जोहार रागी मिशन के उत्पाद अब एमेजॉन, फ्लिपकार्ट और रागिमिशन जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर उपलब्ध हैं। साथ ही रिलायंस स्मार्ट बाजार, रांची में हर बुधवार को इन उत्पादों की विशेष बिक्री होती है। *मिलेट कैफे बना स्थानीय ब्रांडिंग का आकर्षण* गुमला के जशपुर रोड स्टेडियम के समीप स्थित “मिलेट कैफे” इस मिशन का एक प्रमुख आउटलेट है। यहां पर रागी से बने लड्डू, कुकीज, मिक्चर सहित तमाम पैकेज्ड आईटम बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। यही नहीं रागी आधारित समोसा, इडली, पीठा, पकौड़ी, आलू चॉप भी यहाँ परोसे जाते हैं। इन व्यंजनों की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और स्थानीय ग्राहक इनका स्वाद लेने के लिए विशेष रूप से पहुंचते हैं। *रागी मिशन को मिला राष्ट्रीय सम्मान, गुमला को मिली विशिष्ट पहचान* गुमला की महिलाओं के श्रम, दीर्घदर्शी प्रशासनिक सोच और पारंपरिक कृषि नवाचार को मिलाकर जो रूप सामने आया है, वह अब राष्ट्रीय पहचान बन चुका है। यह मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित भी हो चुका है, जो इस बात का प्रमाण है कि एक छोटे जिले से उठी लहर देशभर में बदलाव की धारा बन सकती है। *ग्रामोदय से भारत उदय की प्रेरक मिसाल* गुमला का जोहार रागी मिशन केवल एक कृषि आधारित परियोजना नहीं, बल्कि यह प्रमाण है कि जब गांव की महिलाएं नेतृत्व करें, प्रशासनिक सोच और समर्थन उन्हें मिले और पारंपरिक संसाधनों को नवाचार से जोड़ा जाए तो कोई भी पिछड़ा क्षेत्र देश की आर्थिक और सामाजिक रीढ़ बन सकता है। यह सफलता कहानी है संकल्प की, संघर्ष की, और उस नई क्रांति की जो ग्रामीण भारत के भविष्य को पुनर्परिभाषित कर रही है। वाइट - 1 राहुल कुमार साहू जोहार रागी मिशन के सीईओ 2 जोहार रागी मिशन महिला 3 जोहार रागी मिशन से जुड़ी महिला 4
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