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बागपत का महादेव मंदिर: श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र!
KCKULDEEP CHAUHAN
FollowJul 20, 2025 09:02:02
Baghpat, Uttar Pradesh
नाम :: कुलदीप चौहान
लोकेशन :: बागपत
एंकर :--- बागपत का परशुरामेश्वर पुरा महादेव मंदिर पश्चिम ही नहीं बल्कि पूरे देश के शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है।हर साल लाखों की संख्या में पूरे देश से श्रद्धालु मंदिर आते हे और भगवान शिव का जलाभिषेक कर मन्नत मांगते है।मान्यता है कि भगवान परशुराम जी ने यहां शिवलिंग की स्थापना कर तपस्या की थी ओर भगवान भोले नाथ ने उन्हें दर्शन दिए थे ।इसीलिए पूरा महादेव को सिद्धपीठ भी कहा जाता है।भक्तों का मानना हे कि जो मुराद यहां सच्चे दिल से मांगी जाती है। भगवान उसको ज़रूर पूरा करते हैं।मंदिर में स्थापित शिवलिंग भी रंग बदलता हैं।जो अपने आप में चर्चा का विषय है ।पंडित दावा करते हैं कि श्रावण माह के शिवलिंग का कलर बदल जाता है।श्रावण माह के मंदिर में मेला लगता है जिसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।भारी पुलिस फोर्स तैनात हे और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है।
बताया जाता है जहां वर्तमान में परशुरामेश्वर पुरामहादेव मंदिर है, यहां काफी समय पहले कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका सहित अपने आश्रम में रहते थे। एक बार राजा सहस्त्र बाहु शिकार करते हुए ऋषि जमदग्नि के आश्रम में पहुंचे। रेणुका ने कामधेनु गाय की कृपा से राजा का पूर्ण आदर सत्कार किया। राजा उस अद्भुत गाय को बलपूर्वक ले जाना चाहते थे। सफल न होने पर राजा ने गुस्से में रेणुका को ही बलपूर्वक अपने साथ हस्तिनापुर महल में ले जाकर बंधक बना लिया। राजा की रानी ने उसे मुक्त करा दिया।
परशुराम ने माता का सिर धड़ से किया अलग ---
रेणुका ने वापस आकर सारा वृतांत ऋषि को सुनाया, परंतु ऋषि ने एक रात्रि दूसरे पुरुष के महल में रहने के कारण रेणुका को आश्रम छोड़ने का आदेश दे दिया। ऋषि के चौथे पुत्र परशुराम ने पितृ आज्ञा को अपना धर्म मानते हुए अपनी माता का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में पश्चाताप हुआ तो शिवलिंग स्थापित कर महादेव की पूजा की। भगवान शिव ने प्रत्यक्ष दर्शन दिए और वरदान में माता को जीवित कर दिया और एक परशु (फरसा) भी दिया। युद्ध में विजय का आशीर्वाद दिया।
भगवान परशुराम वहीं पास के वन में एक कुटिया बनाकर रहने लगे थे। थोड़े दिन बाद ही परशुराम ने अपने फरसे से संपूर्ण सेना सहित राजा सहस्त्रबाहु को मार दिया। जिस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की थी वहां एक मंदिर भी बनवाया था।
महाशिवरात्रि और शिवरात्रि पर लगते है मेले ---
सावन माह की शिवरात्रि के साथ ही प्रत्येक सोमवार को यहां भक्तों की भीड़ लगती है। दूर-दूर से लोग यहां महादेव के दर्शन को आते हैं। शिवरात्रि पर तो 20 लाख से अधिक कांवड़िएं और शिवभक्त भगवान का जलाभिषेक करते है। वहीं, फाल्गुनी माह की महाशिवरात्रि पर भी मंदिर में मेले का आयोजन होता है। जिसमें कांवड़ियों के साथ ही लाखों शिवभक्त श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर जलाभिषेक करते है।
पुरा गांव को सर्वश्रेष्ट पर्यटन गांव का मिल चुका है खिताब ---
वर्ष 2024 में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने बागपत के पुरा महादेव गांव को प्रदेश का सर्वश्रेष्ट पर्यटन गांव का खिताब दिया था। बताया था कि यहां के एतिहासिक भगवान परशुरामेश्वर महादेव मंदिर की पूरे देश में मान्यता है। सावन और फाल्गुनी मेले में लाखों शिवभक्त मंदिर पहुंचते है। इसी वजह से पुरा महादेव को सर्वश्रेष्ट पर्यटन गांव का खिताब मिला था। काशी विश्वनाथ की तर्ज पर बन रहा कॉरिडोर पुरा महादेव गांव के एतिहासिक भगवान परशुरामेश्वर महादेव मंदिर का काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर कॉरिडोर का निर्माण होना है। जिसके लिए पर्यटन विभाग से करीब 20 करोड़ रुपये आवंटित भी हो चुके है। बताया कि श्रावणी मेले के खत्म होते ही पुरा महादेव मंदिर कॉरिडोर का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। कॉरिडोर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद मंदिर की छटा देखते ही बनेगी।
बाईट :--- नरेंद्र प्रताप सिंह (एएसपी बागपत )
वन टू वन मुख्य पुजारी पंडित जय भगवान शर्मा
पीटीसी रिपोर्टर कुलदीप चौहान बागपत
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