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सोनीपत स्कूलों में करोड़ों का गबन: क्लर्क का बड़ा घोटाला सामने आया!
JRJAIDEEP RATHEE
FollowJul 19, 2025 11:07:50
Sonipat, Haryana
सोनीपत जिले के दो सरकारी स्कूलों से एक क्लर्क ने करोड़ों रुपये का गबन किया है। जहां सरकारी धन की धोखाधड़ी क्लर्क ने ई-सैलरी पोर्टल की मदद से फर्जी नामों के बिल बनाकर सरकारी खजाने से करीब 1 करोड़ 45 लाख रुपये की रकम निकाल ली। यह घोटाला तब सामने आया जब प्रिंसिपल ने पुराने रिकॉर्ड खंगालने शुरू किए। मामले में थाना कुंडली में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और पुलिस जांच शुरू हो चुकी है।
रिटायर्ड टीचर के नाम पर बनाया फर्जी लीव एनकैशमेंट बिल
पीएम श्री वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, अकबरपुर बारोटा की प्राचार्या भारती ने शिकायत में बताया कि वह अकबरपुर बरोता में प्रिंसिपल है और उन्हें अतिरिक्त कार्य भार छत्तैहरा बहादुरपुर स्कूल का दिया ग़या था।
जब उन्होंने 1 जुलाई 2025 को छत्तैहरा बहादुरपुर स्कूल का प्रभार संभाला, तो वहां के लिपिक मंजीत ने उन्हें बताया कि एक सेवानिवृत्त अध्यापक शिवराज का लीव एनकैशमेंट बिल तैयार है। फोन पर मनोज आनंद नामक व्यक्ति ने भी यही बताया। उन्होंने भरोसे में आकर बिल ट्रेजरी में भेज दिया।
बिल पास होने के बाद फिर से फोन आया कि उसकी ईपीएस वेरिफिकेशन करनी है। जब ई-सैलरी पोर्टल खोला गया तो पता चला कि बिल असली रिटायर्ड टीचर शिवराज के नाम से नहीं, बल्कि एक अनजान नाम “महेन्द्र मलिक” के नाम से बना है। बिल की राशि ₹9,09,075 थी।
बिल को तुरंत खारिज कर बचाया गया गबन
मामले की यह धोखाधड़ी और गबन कि जानकारी प्रिंसिपल भारती को जैसे लगी तो उन्होंने तुरंत छत्तैहरा स्कूल के रिकॉर्ड की जांच शुरू की और महेन्द्र मलिक का बिल जिला ट्रेजरी ऑफिसर से रिजेक्ट करवा दिया। इसके बाद प्रिंसिपल ने पुराने दस्तावेज मंगवाए और गहराई से जांच की।
रिकॉर्ड जांच में निकले 31 फर्जी बिल, रकम ₹1.12 करोड़
जांच के दौरान छत्तैहरा बहादुरपुर स्कूल में 31 ऐसे फर्जी लीव एनकैशमेंट और सैलरी एरियर के बिल मिले जिनकी कोई भी ऑफिस कॉपी, टोकन या कैशबुक में एंट्री नहीं थी। ये सभी बिल जुलाई 2021 से जून 2025 के बीच बनाए गए थे।
इन फर्जी बिलों के जरिए कुल ₹1करोड़ 12लाख 13,076 की सरकारी धन की हेराफेरी की गई। इनमें से ₹103,04,001 की रकम अलग-अलग फर्जी नामों जैसे महिमा, दिव्या, निशांत अरोड़ा, भूपेन्द्र कुमार, तृप्ता, संजय कुमार, पूनम और कृष्णा के बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर की गई।
फर्जी नामों से भेजे गए पैसे, कोई कर्मचारी नहीं थे
जिन नामों से भुगतान हुआ, वे सभी नाम फर्जी निकले। इन व्यक्तियों का स्कूल से कोई लेना-देना नहीं था। न वे कभी स्कूल में काम पर थे, न कोई नियुक्ति रिकॉर्ड मौजूद है।
मनोज आनंद की पत्नी तृप्ता का नाम भी इनमें शामिल है, जिससे साफ होता है कि यह घोटाला केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि जान-पहचान वालों के साथ मिलकर किया गया।
अकबरपुर बारोटा स्कूल में भी निकला 33 लाख का घोटाला
मनोज आनंद पूर्व में अकबरपुर बारोटा स्कूल में भी लिपिक था और प्रमोशन के बाद भी वह ई-सैलरी पोर्टल का काम करता रहा।
इस स्कूल में भी 20 फर्जी सैलरी एरियर बिल बनाए गए और ₹32लाख 96हजार 909 की सरकारी रकम का गबन किया गया। यहां भी दिव्या और महिमा के नाम से बिल बनाकर भुगतान हुआ, जबकि ये नाम भी फर्जी थे।
बिल न टोकन बुक में, न कैशबुक में, न रिकॉर्ड में
इन सभी फर्जी भुगतानों की कोई ऑफिस कॉपी नहीं है। न टोकन बुक में कोई एंट्री मिली, न कैशबुक में मिली है। ई-सैलरी पोर्टल पर इन सभी UCP कोड में PAN नंबर भी नहीं डाले गए थे, जबकि ₹10 हजार से ज्यादा के भुगतान के लिए PAN नंबर जरूरी होता है।
एफआईआर दर्ज, पुलिस ने शुरू की जांच
प्राचार्या भारती ने पूरे मामले की लिखित शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी को भेजी थी। उसके आधार पर कुंडली थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
आरोपी मनोज आनंद और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ धोखाधड़ी, गबन, फर्जी दस्तावेज बनाने और सरकारी रकम हड़पने की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इसके साथ ही BNS की धाराएं भी जोड़ी गई हैं।
प्राचार्या की सजगता से ₹9 लाख की रकम बची
गौरतलब है कि अगर प्राचार्या समय पर हरकत में न आतीं तो महेन्द्र मलिक के नाम से ₹9 लाख की रकम भी खजाने से निकल जाती। उनके प्रयास से यह ट्रांजैक्शन समय रहते रोका गया।
अब उन्होंने मांग की है कि इस पूरे घोटाले की गहराई से जांच हो, सभी दोषियों से सरकारी पैसे की वसूली की जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
बाइट - स्कूल प्रिंसिपल
बाइट - रवींद्र सिंह - पुलिस पीआरओ
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