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बच्चों की सुरक्षा खतरे में: प्राइवेट स्कूलों की लापरवाही पर उठे सवाल!

SKSwadesh Kapil
Jul 19, 2025 04:04:28
Alwar, Rajasthan
एंकर,विजुअल 1 जुलाई से शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है. सरकारी स्कूलों के अलावा प्राइवेट स्कूल पहले से ही खुल चुके हैं. देश का भविष्य मासूम बच्चे, प्राइवेट स्कूलों के बोझ से दबा बचपन प्राइवेट स्कूल की वाहिनियों में दिखाई देता है. ठूस ठूस कर बच्चों को भर जाता है इन एलपीजी गैस सिलेंडर किट लगी गाड़ियों में. जानकारी के अनुसार खेड़ली कठूमर क्षेत्र में शिक्षा विभाग, प्रशासन, परिवहन विभाग, पुलिस विभाग की जानकारी में होते हुए भी मासूम, नन्हे मुन्ने बच्चों के जीवन जिंदगी से प्राईवेट स्कूलों द्वारा खिलबाड़ किया जा रहा है. गौरतलब है कि नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है. जहां प्राईवेट स्कूलों के बोझ के तले बच्चों का भविष्य दब रहा है. चाहे किताबें खरीद हो, ड्रेस ख़रीद हो,हर जगह निजी स्कूलों ने दुकानें फिक्स कर रखी है. जिसकी एवज अभिभावकों को मजबूरन मुंह मांगी कीमत चुकानी पड़ती है. वहीं दूसरी ओर यहां प्राईवेट स्कूलों ने परिवहन विभाग, शिक्षा विभाग के नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई हुई है. जिसकी जानकारी स्थानीय शिक्षा विभाग प्रशासन को है. शिक्षा विभाग के नियमों कायदों के अनुसार परिवहन विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन के बाद ही पीले रंग की बाल वाहिनी से बच्चों को लाया ले जाना अति आवश्यक है. लेकिन यहां अवधि पार जीपें, बस, तथा घरेलू गैस सिलेंडर लगी मारूति वैन से मासूम नन्हे मुन्ने बच्चों को ठूंस ठूंस कर भरकर लाया ले जाया जाता है. इन गाड़ियों में सीएनजी किट नहीं है ,ना इंश्योरेंस, ना फिटनेस प्रमाण पत्र, तथा अग्निशमन यंत्र तक नहीं है. अगर इन गाड़ियों में कोई बड़ी घटनाएं तथा दूर्घटना हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा. यह सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है . आखिर शासन प्रशासन घटनाएं घटित होने के बाद ही कार्यवाही क्यों करता है.
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