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भास्कर नायडू: तिरुपति का असली हीरो, साँपों का रक्षक!

DSDM Seshagiri
Jul 20, 2025 15:02:08
Hyderabad, Telangana
SPECIAL STORY तिरुपति: सेशाचलम वन का साँप रक्षक: भास्कर नायडू – तिरुपति का असली हीरो > “एक ऐसी भूमि जहाँ साँप पूजनीय हैं और हर जंगल की धारा में भक्ति बहती है, वहाँ एक व्यक्ति लोगों और साँपों दोनों का रक्षक बन चुका है। तिरुपति की पवित्र पहाड़ियों से लेकर घने सेशाचलम जंगल तक, यह कहानी है भास्कर नायडू की, उस निडर साँप रक्षक की, जिसका नाम हर घर में जाना जाता है और जिसका दिल सिर्फ वन्यजीवन के लिए धड़कता है।” STORY: तिरुपति केवल आंध्र प्रदेश की आध्यात्मिक राजधानी ही नहीं, बल्कि एक ऐसे नायक का घर भी है जो डर को पीछे छोड़कर खतरे के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता है। भास्कर नायडू, जिन्हें लोग प्यार से “स्नेक नायडू” कहते हैं, ने अपने जीवन के 25 से अधिक साल साँपों को बचाने में समर्पित किए हैं – चाहे वे जहरीले हों, गैर-जहरीले, दुर्लभ या लोगों की मान्यताओं में पौराणिक क्यों न हों। 1995 से अब तक भास्कर 30,000 से अधिक साँपों को बचा चुके हैं। यह उन्होंने न तो शोहरत के लिए किया और न ही किसी इनाम के लिए, बल्कि अपने दिल की पुकार के लिए। उनकी यात्रा की शुरुआत तब हुई जब उन्होंने 15 फुट लंबे अजगर से सामना किया, और तभी से उनका जीवन मिशन बन गया – “साँपों को बचाओ, जीवन बचाओ।” बाइट 01 – चक्रवर्ती राघवन, वेद पंडित > “मैं उन्हें 20 साल से जानता हूँ। हमारे पुराणों में कहा गया है कि जीवन में 4 लोगों का आदर करना चाहिए। संस्कृत में एक श्लोक है – ‘जो हमें भय से बचाता है, उसे भयत्राता कहते हैं।’ उनकी सेवा, तीर्थयात्रियों के लिए समर्पण और वन्यजीवन की चिंता अतुलनीय है। मैं उनके लंबी उम्र की प्रार्थना करता हूँ।” बाइट 02 – हर्षा, पशु प्रेमी, तिरुपति > “भास्कर नायडू ने अपना पूरा जीवन साँपों और लोगों की रक्षा में लगा दिया। उन्हें डंक से डर नहीं लगता। मैं और हम सब उनका समर्थन करते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे लंबी उम्र पाएं और टीटीडी व बालाजी भक्तों की सेवा करते रहें।” घर, मंदिर, खेत और जंगल के रास्तों तक – भास्कर को रोज़ाना 3–5 कॉल आते हैं। वे अपनी जान की परवाह किए बिना सिर्फ भगवान बालाजी की सेवा के भाव से इन जीवों को बचाते हैं। 2022 में एक खतरनाक रसेल वाइपर ने उन्हें काट लिया। 11 दिन तक वे आईसीयू में थे, लेकिन वे वापस लौटे – उसी तरह जैसे वे साँपों को वापस जंगल में छोड़ते हैं। बाइट 03 – भास्कर नायडू (स्नेक नायडू) > "मैं समाज की सेवा में ही भगवान बालाजी के दर्शन करता हूँ। कृपया साँपों को मत मारिए, उन्हें भी जीवन जीने का हक है। मैं साँप पकड़ने की तकनीक सिखाने को हमेशा तैयार हूँ, लेकिन कोई सीखने को तैयार नहीं है और आज की युवा पीढ़ी को इसमें रुचि ही नहीं है। बाइट 04 – हरी, मशुर् साँप रेस्क्यूअर, पुणे > “मैं हैरान था जब भास्कर नायडू ने सेशाचलम में दुर्लभ श्रीलंकन फ्लाइंग स्नेक पकड़ा – ऐसा साँप श्रीलंका में भी मुश्किल से मिलता है! मैंने उन्हें बेहतर उपकरण गिफ्ट किए, जो उनके काम में बहुत सहायक साबित हुए।” परिवार की आवाज़ बायिट 05 योगेश्वर, पुत्र (10 साल): > “मेरे पापा मेरे असली हीरो हैं। अगर पापा को अमेज़न जंगल भेज दिया जाए तो वे एनाकोंडा भी पकड़ लेंगे। मेरे पापा इतने ताकतवर हैं। मैं IAS अधिकारी बनकर मम्मी-पापा का ख्याल रखूँगा।” बायिट 06 निर्मला, पत्नी (emotional) : > “जब वे ड्यूटी पर जाते हैं और फोन नहीं उठाते, तो मैं बहुत डर जाती हूँ। भगवान बालाजी से प्रार्थना करती हूँ कि उन्हें स्वस्थ रखें। जब उन्हें साँप ने काट लिया और वे अस्पताल में भर्ती हुए, तो मैं हिल गई थी। हर दिन, जब वे साँप पकड़ने जाते हैं, मैं उनके सुरक्षित लौटने की दुआ करती हूँ।” कई सालों तक भास्कर को सिर्फ ₹1000 प्रति रेस्क्यू दिया जाता था। लेकिन अब उनकी बहादुरी को पहचान मिल रही है। बायिट 07 ओ.वी रामना, पूर्व ट्रस्ट बोर्ड सदस्य: > “भास्कर नायडू 65+ उम्र के हैं, वे पहले ही रिटायर हो चुके हैं। उन्हें टॉप-एंड उपकरण दिए जाने चाहिए और एनिमल रेस्क्यू टीम भर्ती होनी चाहिए। मैं इसकी जोरदार मांग करता हूँ।” बायिट 08 वेंकैया चौधरी, TTD Additional EO (अधिकारी): > “हर दिन लाखों श्रद्धालु तिरुमाला आते हैं और जंगलों से गुजरते हैं। भास्कर उन्हें साँपों से बचाते हैं और साँपों को भी सुरक्षित गहरे जंगलों में छोड़ते हैं। हम जल्द ही एनिमल रेस्क्यू टीम बनाएंगे और बालाजी भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।” बायिट 09 जलंदर, तिरुपति स्थानीय निवासी: > “तिरुपति में ऐसा कोई नहीं जो भास्कर नायडू को न जानता हो। पहले लोग साँप देखते ही मार देते थे। अब वे भास्कर को कॉल करते हैं और वे सबको बचा लेते हैं। हम सभी उनकी जल्दी सेहतयाबी की दुआ करते हैं।” आध्यात्मिक दृष्टिकोण भास्कर के लिए साँप पकड़ना कोई नौकरी नहीं बल्कि धर्म है। वे मानते हैं कि वे भगवान बालाजी की सेवा कर रहे हैं, सेशाचलम के पवित्र साँपों को बचाकर और हजारों भक्तों को खतरे से सुरक्षित रखकर – भले ही इसके लिए उन्हें अपनी जान जोखिम में डालनी पड़े। रिपोर्टर एंड P2C: > “भास्कर नायडू ने हजारों साँपों को बचाया है। अगर साँप बोल सकते, तो वे भी भास्कर नायडू का धन्यवाद करते।” गिरी, ज़ी न्यूज़, तिरुपति से — एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।
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