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Tonk304001

क्या सरकार के विकास के दावे सिर्फ दिखावे हैं? जानिए रानोली की सच्चाई!

PJPurshottam Joshi
Jul 20, 2025 12:05:01
Tonk, Rajasthan
एंकर-एक तरफ सरकार और प्रशासन जहां ग्रामीण विकास और आधारभूत संरचनाओं को मजबूत करने के बड़े-बड़े दावे करते हैं, वहीं टोंक जिले में पीपलू के उपतहसील रानोली की यादव की ढाणी से सामने आई एक हृदयविदारक घटना ने इन सभी दावों की पोल खोल दी है। 80 वर्षीय बुजुर्ग बद्री बलाई के अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को शव को एक किलोमीटर तक ट्रैक्टर-ट्रॉली में रखकर ले जाना पड़ा क्योंकि रास्ते में पानी भरा था और सड़क पूरी तरह से बदहाल थी। यह घटना रविवार सुबह हुई, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया और ग्रामीण विकास की हकीकत बयां कर दी। खराब रास्ते से बच्चों की शिक्षा पर संकट यह समस्या केवल अंतिम संस्कार तक सीमित नहीं है। बनवारी यादव की ढाणी के लगभग 20 बच्चे रोजाना इसी कीचड़ भरे और टूटे हुए रास्ते से होकर स्कूल जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हर बारिश में यह रास्ता तालाब में बदल जाता है, जिससे बच्चों के लिए स्कूल जाना तो दूर, पैदल चलना भी दूभर हो जाता है। ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय पंचायत प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन उनकी शिकायतों को अनसुना कर दिया गया। प्रशासन की इस घोर लापरवाही और उदासीनता के खिलाफ अब ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। सरकार के दावों पर सवालिया निशान ग्रामीणों के अनुसार, यह समस्या दशकों पुरानी है और हर साल बारिश में बद से बदतर हो जाती है। स्थानीय प्रशासन की लगातार अनदेखी और उदासीनता ने ग्रामीणों को मजबूर कर दिया है। ग्रामीण बनवारी यादव और बाबूलाल यादव ने बताया कि कई बार गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। सरकारें और प्रशासन भले ही विकास के बड़े-बड़े दावे करें, लेकिन ऐसी घटनाएं उनके दावों की खोखली सच्चाई को उजागर करती हैं। बच्चों ने किया स्कूल का बहिष्कार प्रशासन के खिलाफ गुस्से में, ग्रामीणों ने एक बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने सोमवार से अपने सभी बच्चों को स्कूल नहीं भेजने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि जब तक इस बदहाल रास्ते को ठीक नहीं किया जाता, तब तक वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाती है। क्या विकास के दावे केवल कागजों तक ही सीमित हैं, या फिर सरकार और प्रशासन जमीनी हकीकत को भी समझेंगे?
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