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जयपुर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर घोटाला: करोड़ों फंड फर्जीवाड़े में डूबा
KCKashiram Choudhary
Nov 12, 2025 11:52:15
Jaipur, Rajasthan
कैसे रुकेंगे सड़क हादसे, जब केवल कागजों में बन रहे ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर!
- डेढ़ साल में बनना था ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर, 3 साल में भी नहीं हो सका तैयार
- बियानी कॉलेज समूह के ट्रस्ट की गड़बड़ी, सरकार से उठा लिया 4.92 करोड़ का फंड
- मौके पर न ड्राइविंग ट्रैक बना, न ही बिल्डिंग
जयपुर।
सड़क हादसे रोकने की दिशा में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा गंभीर हैं। पिछले दिनों उन्होंने प्रदेशभर में सड़क हादसे रोकने की दिशा में विशेष अभियान शुरू करवाया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए ड्राइवर्स को ट्रेनिंग दिए जाने और विश्राम गृह बनाए جانے की भी आवश्यकता जताई है। लेकिन जयपुर में ऐसा ही एक ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर बनाने के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यह फर्जीवाड़ा बियानी कॉलेज समूह के एक ट्रस्ट द्वारा किया गया है। आपको बता दें कि शिक्षा के क्षेत्र में बियानी कॉलेज समूह का नाम काफी पुराना है। लेकिन सड़क सुरक्षा की शिक्षा के क्षेत्र में बियानी कॉलेज समूह के ट्रस्ट ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया है। राजधानी जयपुर से 20 किमी से अधिक दूर कालवाड़ रोड पर चम्पापुरा में केन्द्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और राज्य के परिवहन विभाग के सहयोग से ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर बनाया जाना था। इसके लिए ट्रस्ट ने 3 वर्ष से भी ज्यादा समय पहले केन्द्र सरकार की आरडीटीसी योजना के अंतर्गत आवेदन किया था। आवेदन की पात्रता शर्त यह होती है कि सम्बंधित प्राइवेट पार्टनर के पास सड़क सुरक्षा का 3 वर्ष का अनुभव होना चाहिए। साथ ही संस्था का टर्नओवर 50 लाख रुपए से अधिक होना चाहिए। इसके लिए बियानी कॉलेज समूह के ट्रस्ट जयपुर रूरल हैल्थ एंड डवलपमेंट ट्रस्ट ने आवेदन किया था। इसके लिए ट्रस्ट की 5 एकड़ भूमि को अगले 33 वर्ष के लिए केन्द्रीय मंत्रालय के पास गिरवी रखा गया है। इस तरह ट्रस्ट ने जनहित की एक मिसाल पेश की थी। लेकिन ट्रस्ट इस पहल के जरिए कितना जनहित कर रहा है, इसका खुलासा तब हुआ, जब ट्रस्ट ने पहली किश्त के रूप में मिले 2 करोड़ 20 लाख की राशि ट्रेनिंग सेंटर निर्माण पर खर्च ही नहीं की। लेकिन रोचक बात यह रही कि ट्रस्ट ने इसके लिए बकायदा पीडब्ल्यूडी और परिवहन विभाग के अधिकारियों से राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी बनवा लिया।
बियानी समूह के ट्रस्ट को क्या करना था, क्या किया?
- रीजनल ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के लिए ट्रस्ट को करना था निर्माण
- भूमि गिरवी रखे जाने के बाद डेढ़ वर्ष की अवधि में करना था सेंटर का निर्माण
- इसके लिए निर्धारित मानकों के अनुसार बनाया जाना था ड्राइविंग ट्रेनिंग ट्रैक
- वहीं ट्रैक के पास ही बनाई जानी थी ट्रेनिंग सेंटर की बिल्डिंग
- लेकिन अब 3 वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद भी मौके पर निर्माण नहीं हुआ
मौके पर जी मीडिया टीम को क्या मिला ?
- ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के लिए कोई भी ट्रैक पूरा नहीं बना है
- ट्रैक के कुछ हिस्से में केवल गिट्टी डली हुई हैं, बाकी हिस्सा अभी भी कच्चा
- मॉनिटरिंग रूम, कम्युनिकेशन रूम वगैरह भी नहीं बनाए गए
- 21 माह पहले जिस बिल्डिंग के सैम्पल लिए गए वह मुख्य सड़क पर अगले हिस्से में
- जबकि ट्रस्ट ने आयुर्वेद कॉलेज के पिछले हिस्से की भूमि दी है ट्रेनिंग सेंटर के लिए
- सेंटर की बिल्डिंग कागजों में बनी दिखाई, लेकिन मौके पर निर्माण पूरा नहीं
- अभी पहली मंजिल की छत डाली जा रही, इसके ऊपर भी निर्माण की कवायद
परिवहन अधिकारियों की रही लापरवाही!
इस पूरे मामले में सबसे बड़ी गड़बड़ी परिवहन विभाग और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की रही है। दरअसल जी मीडिया की टीम ने जब रीजनल ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के स्थल का दौरा किया तो यहां पर न भवन बना हुआ पाया गया और न ही ड्राइविंग ट्रैक बन सका है। लेकिन अधिकारियों ने कागजों में इन निर्माणों को पूरा हुआ मान लिया है। दरअसल केन्द्र सरकार से ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के लिए 3 किश्तों में साढ़े 5 करोड़ रुपए का अनुदान मिलता है। बियानी समूह के इस ट्रस्ट को पहली किश्त के रूप में 2 करोड़ 20 लाख रुपए की राशि दी गई थी। इसके बाद जब दूसरी किश्त जारी करने से पहले पहली किश्त की राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगा गया तो अधिकारियों ने आंखें बंद कर यह जारी कर दिया।
इस तरह नियम टूटे, अफसर रहे मौन
- संचालन समिति में दूसरी किश्त जारी करने से पहले बैठक बुलाई जानी चाहिए थी
- यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट की रिपोर्ट का अनुमोदन आवश्यक था
- 3 वर्ष में समिति की मैनेजमेंट कमेटी की 10 से 12 बैठकें होनी चाहिए थी
- जनरल काउंसिल की कम से कम 3 बैठक थी अनिवार्य
- लेकिन सूत्रों की मानें तो इन कमेटियों की बैठकें ही नहीं हुई
- परिवहन विभाग के सदस्य बैठक में नहीं गए, इसलिए बैठक की वैधता भी नहीं
- परिवहन मुख्यालय की योजना एवं विकास शाखा को हर माह करना था निरीक्षण
- लेकिन एक बार भी निरीक्षण नहीं किया गया, फिर भी यूसी रिपोर्ट दे दी गई
- निचले अफसरों की अनुशंसा पर परिवहन आयुक्त शुचि त्यागी ने भी हस्ताक्षर किए
- इसी आधार पर ट्रस्ट को दूसरी किश्त के 2 करोड़ 75 लाख रुपए जारी हुए
- जबकि ट्रस्ट ने पहली किश्त के 2 करोड़ 20 लाख ही खर्च नहीं किए थे
ट्रस्ट ने साधी चुप्पी
इस पूरे मामले में जी मीडिया ने बियानी कॉलेज समूह के जयपुर रूरल हैल्थ एंड डवलपमेंट ट्रस्ट से जुड़े राजीव बियानी से पक्ष जानने के लिए कई बार प्रयास किया। उन्होंने फोन पर बातचीत में ट्रस्ट द्वारा ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर बनाने की पूरी प्रक्रिया को सही बताया, लेकिन कैमरे पर अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए。
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MDMahendra Dubey
FollowNov 12, 2025 13:20:370
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ANAnil Nagar1
FollowNov 12, 2025 13:20:25Gwalior, Bhopal, Madhya Pradesh:8 PM GUEST
भाजपा विधायक मोहन सिंह राठौर
कांग्रेस प्रवक्ता अमित तावरे
एस.एस. बंसल, (रिटायर्ड संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी)
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BDBabulal Dhayal
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FWFAROOQ WANI
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RRRakesh Ranjan
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UJUmesh Jadhav
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BDBabulal Dhayal
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ADAbhijeet Dave
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PKPradeep Kumar
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SPSatya Prakash
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RKRishikesh Kumar
FollowNov 12, 2025 13:18:200
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