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AI से जल प्रबंधन: दिल्ली का पहला स्मार्ट और पारदर्शी मॉडल
TCTanya chugh
Nov 12, 2025 14:09:56
Delhi, Delhi
दिल्ली जल बोर्ड और आईआईटी कानपुर मिलकर बनाएंगे भारत का पहला एआई-संचालित शहरी जल प्रबंधन मॉडल
नई दिल्ली, 12 नवंबर 2025:
दिल्ली के जल प्रबंधन को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी आधारित बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, आज दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने आईआईटी कानपुर के तहत स्थापित एयरावत रिसर्च फाउंडेशन (एआरएफ) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। एआरएफ भारत सरकार के अधीन सतत शहरों के लिए राष्ट्रीय एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस है।
यह एमओयू नई दिल्ली में दिल्ली जल बोर्ड और आईआईटी कानपुर की एयरावत रिसर्च फाउंडेशन के बीच जल मंत्री श्री प्रवेश साहिब सिंह, दिल्ली जल बोर्ड के senior अधिकारियों और आईआईटी कानपुर फाउंडेशन के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में हस्ताक्षरित किया गया। यह समझौता गैर-वित्तीय और गैर-बाध्यकारी है, जिसके तहत दोनों संस्थान अनुसंधान, डेटा एकीकरण और उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तकनीकों के प्रयोग के माध्यम से दिल्ली के जल एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन को आधुनिक और सुगम बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे。
इस साझेदारी के तहत डीजेबी और एआरएफ मिलकर एआई आधारित और डेटा संचालित समाधान तैयार करेंगे, जिनसे गैर-राजस्व जल (Non-Revenue Water) की समस्या को कम करने, अवसंरचना के भविष्यवाणी आधारित रखरखाव (Predictive Maintenance) और जल व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की रियल टाइम निगरानी में मदद मिलेगी। सहयोग के तहत डिजिटल ट्विन तकनीक का भी उपयोग किया जाएगा, जिससे जल प्रणाली का वर्चुअल मॉडल तैयार होगा और लीकेज, प्रेशर ड्रॉप या किसी भी तकनीकी समस्या का पहले से पता लगाया जा सकेगा。
इसके साथ ही परियोजना का उद्देश्य एआई-सक्षम जन शिकायत निवारण और राजस्व प्रबंधन प्रणाली विकसित करना भी है, जिससे नागरिकों की शिकायतों का शीघ्र समाधान हो सके, बिलिंग की सटीकता बढ़े और उपभोक्ताओं की संतुष्टि सुनिश्चित हो। यह पहल ‘क्लीन यमुना मिशन’ को भी सशक्त करेगी, जिसमें एआई के माध्यम से अपशिष्ट जल और प्रदूषण स्रोतों की निगरानी की जाएगी ताकि यमुना नदी में बिना उपचार वाला सीवेज कम किया जा सके।
यह साझेदारी भूजल की निगरानी और पुनर्भरण योजना में भी एआई तकनीक का प्रयोग करेगी, जिसमें बोरवेल, सेंसर और सैटेलाइट इमेजरी से प्राप्त डेटा को एकीकृत किया जाएगा। इससे दिल्ली के एक्विफर्स (जलभंडार) की वास्तविक समय में निगरानी और सतत प्रबंधन संभव होगा। भविष्यवाणी आधारित एनालिटिक्स और स्मार्ट सिमुलेशन के माध्यम से डीजेबी को जल मांग, पुनर्भरण क्षेत्रों और दीर्घकालिक जल सुरक्षा से जुड़े निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
डेटा की गोपनीयता और स्वामित्व दिल्ली जल बोर्ड के पास रहेगा और सभी गतिविधियाँ डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 तथा अन्य प्रासंगिक कानूनों के तहत पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ संचालित की जाएंगी। यह साझेदारी नागरिक केंद्रित नवाचार और जिम्मेदार शासन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है。
इस अवसर पर दिल्ली के जल मंत्री श्री प्रवेश साहिब सिंह ने कहा:
“यह साझेदारी दिल्ली में डेटा-आधारित, पारदर्शी और जवाबदेह जल शासन प्रणाली की दिशा में एक निर्णायक कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के डिजिटल इंडिया के विज़न से प्रेरित होकर हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल ट्विन तकनीक को अपना रहे हैं, ताकि जल प्रबंधन को और अधिक स्मार्ट, प्रभावी और नागरिक केंद्रित बनाया जा सके। इन तकनीकों से हम समस्याओं का पूर्वानुमान लगा सकेंगे, आपूर्ति से लेकर बिलिंग तक की कार्यक्षमता बढ़ा सकेंगे और सबसे महत्वपूर्ण, नागरिकों का भरोसा फिर से स्थापित कर सकेंगे। यही शहरी जल प्रबंधन का भविष्य है और दिल्ली इसमें अग्रणी भूमिका निभाएगी।”
उन्होंने आगे कहा:
“हमारा लक्ष्य है – हर बूंद का सही उपयोग। अपशिष्ट जल के उपचार से लेकर भूजल की निगरानी तक, नुकसान घटाने से लेकर शिकायतों के समाधान तक, हम तकनीक के माध्यम से दिल्ली के हर घर तक स्वच्छ, भरोसेमंद और न्यायसंगत जल पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सहयोग हमारे ‘क्लिम यमुना मिशन’ को और सशक्त करेगा, जिसमें विज्ञान, डेटा और सेवा को मिलाकर दिल्ली की जल प्रणाली को आने वाली पीढ़ियों के लिए सतत बनाया जाएगा.”
दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) इस परियोजना के परियोजना निदेशक के रूप में कार्य करेंगे और सभी गतिविधियों की रणनीतिक निगरानी व समन्वय सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा एक नोडल अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा जो एआरएफ की तकनीकी टीम के साथ समन्वय में कार्य करेगा。
एमओयू के तहत प्रमुख फोकस क्षेत्र:
• जन शिकायत निवारण के लिए एआई-सक्षम प्रणाली ताकि शिकायतों का शीघ्र और निष्पक्ष समाधान हो सके।
• राजस्व प्रबंधन को एआई आधारित बनाना ताकि बिलिंग सटीकता बढ़े और नुकसान घटे।
• जल और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के लिए डिजिटल ट्विन मॉडल ताकि भविष्यवाणी आधारित रखरखाव हो सके।
• ‘क्लीन यमुना मिशन’ के लिए प्रदूषण निगरानी और पूर्वानुमान आधारित योजना।
• भूजल निगरानी और पुनर्भरण योजना के लिए डिजिटल ट्विन मॉडल。
दिल्ली जल बोर्ड के परिचालन अनुभव और आईआईटी कानपुर की शोध विशेषज्ञता के समन्वय से यह साझेदारी एक ऐसा मॉडल तैयार करेगी जो पूरे देश के शहरी केंद्रों में स्मार्ट, सतत और तकनीक-संचालित जल प्रबंधन की दिशा में मार्गदर्शक बनेगा।
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DKDebojyoti Kahali
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PDPradyut Das
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